वसीम अकरम त्यागी
गुजरात, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, उत्तर प्रदेश में
लगातार दलितों और आदिवासियों पर हमले बढ़ रहे हैं। दलितों को मारा जा रहा है, घर से बेघर किया जा
रहा है, भाजपा ने इस सब पर ‘मरहम’ लगाने के लिये दलित
कार्ड खेला और बिहार के राज्यपाल राम नाम कोविंद का नाम राष्ट्रपति पद के
उम्मीदवार के तौर पर पेश कर दिया।
जब केन्द्र में
भाजपा की अटल बिहारी वाले नेतृत्व वाली सरकार में भाजपा शासित गुजरात में दंगा हुआ
जिसमें बड़े पैमाने पर मुसलमानों को मारा गया, तब भी ‘मरहम’ लगाने के लिये डॉ. एपीजे कलाम को
राष्ट्रपति बनाया गया था, और अब रामनाथ कोविंद को बनाने की
तैयारी है।
रामनाथ कोविंद
दलितों के उतने ही हमदर्द हैं जिनते मुख्तार अब्बास नकवी, शाहनवाज हुसैन
मुसलमानों के हमदर्द हैं। मुनव्वर राना का एक शेर याद आता है।
सियासत किस
हुनरमंदी से सच्चाई छिपाती है
कि जैसे सिसकियों
का दर्द शहनाई छिपाती है।
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