मुंबई की स्पेशल एंटी-करप्शन कोर्ट ने शनिवार को भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) की पूर्व चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच समेत कई शीर्ष अधिकारियों के खिलाफ FIR दर्ज करने का आदेश दिया है। यह मामला एक कथित स्टॉक मार्केट घोटाले और नियामक उल्लंघनों से जुड़ा हुआ है।
क्या है मामला?
ठाणे के पत्रकार सपन श्रीवास्तव ने कोर्ट में याचिका दायर कर आरोप लगाया था कि एक कंपनी की लिस्टिंग के दौरान बड़े पैमाने पर वित्तीय गड़बड़ियां हुईं, जिसमें SEBI के अधिकारियों की मिलीभगत हो सकती है। याचिकाकर्ता के मुताबिक, नियामकों ने अपनी कानूनी जिम्मेदारियों का पालन नहीं किया, जिससे बाजार में हेरफेर हुआ और निवेशकों को भारी नुकसान झेलना पड़ा।
कौन-कौन हैं आरोपी?
इस मामले में जिन लोगों को आरोपी बनाया गया है, उनमें SEBI की पूर्व चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच, पूर्णकालिक सदस्य अश्विनी भाटिया, आनंद नारायण जी और कमलेश चंद्र वर्श्नेय शामिल हैं। इसके अलावा, बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) के चेयरमैन प्रमोद अग्रवाल और सीईओ सुंदररमन राममूर्ति के नाम भी शिकायत में दर्ज हैं। हालांकि, सुनवाई के दौरान इनमें से कोई भी अदालत में पेश नहीं हुआ।
कोर्ट का क्या कहना है?
अदालत ने इस मामले को गंभीर मानते हुए कहा कि प्रथम दृष्टया संज्ञेय अपराध के संकेत मिलते हैं और इसकी निष्पक्ष जांच जरूरी है। कोर्ट ने मुंबई एंटी-करप्शन ब्यूरो (ACB) को निर्देश दिया कि वह भारतीय दंड संहिता, भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम और SEBI अधिनियम की प्रासंगिक धाराओं के तहत FIR दर्ज करे।
30 दिन में मांगी रिपोर्ट
न्यायालय ने ACB को आदेश दिया है कि वह 30 दिनों के भीतर इस मामले की स्थिति रिपोर्ट अदालत में पेश करे। कोर्ट का कहना है कि इस घोटाले में नियामकों की निष्क्रियता दिखती है, इसलिए निष्पक्ष और स्वतंत्र जांच आवश्यक है।
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि जांच में क्या सामने आता है और क्या इन आरोपों में कोई सच्चाई है या नहीं।