अमन पठान
लोग आज भी पत्रकारों
एवं समाचार पत्रों पर विश्वास करते हैं कि समाचार पत्र उन्हें शासन एवं समाज की
अच्छाई बुराई के सच से रूबरू कराएँगे. इन दिनों पत्रकारिता के नाम पर पक्षकारिता
हो रही है और इस पक्षकारिता के दौर में सच्चाई छापना पत्रकारों के लिए लोहे के चने
चबाने जैसा है.
यूपी के तीन लीडिंग
अख़बारों ने हैरान कर देने वाला सच छापकर लोगों को गुमराह ही नही किया बल्कि
पत्रकारिता के मुंह पर तमाचा भी जड़ दिया और यह भी साबित कर दिया कि पक्षकारिता का
युग आ चूका है. पत्रकारिता तो गुजरे दिनों की बात है. जो जितनी सरकार की चापलूसी
करेगा. उसे ही सरकार की गोद में बैठने का मौका मिलेगा.
योगी सरकार की
चापलूसी करने में अमर उजाला पहले, हिंदुस्तान दुसरे और दैनिक जागरण तीसरे स्थान पर
है. ऐसा हम नही ये अख़बार खुद कह रहे हैं. बीते दिनों सीएम योगी और पीएम मोदी ने
सड़क निर्माण का फैसला लिया तो अमर उजाला ने छापा ‘एक लाख करोड़ से यूपी में बिछेगा
सड़कों-पुलों का जाल’. हिंदुस्तान ने लिखा ‘केंद्र सरकार का तोहफा: यूपी में सड़कों
के लिए मिले 50 हजार करोड़’. दैनिक जागरण भी कहाँ पीछे रहने वालों में था. दैनिक
जागरण की रिपोर्ट के मुताबिक सड़कों के लिए मिलेंगे 10 हजार करोड़. तीन अख़बार तीन सच
अब किस अख़बार के सच पर भरोसा किया जाये कि किसकी खबर सच्ची है और किसकी झूठी?
नेताओं के झूठ
पकड़ने वाली मीडिया का केयर ऑफ़ मीडिया न्यूज़ नेटवर्क ने झूठ पकड़ा है. अगर विज्ञापन
के लिए ये चापलूसी की जा रही है तो धिक्कार है ऐसी पत्रकारिता पर जो सच को सच लिखने
की हिम्मत भी न जुटा पायें. वैसे भी इन दिनों न्यूज़ चैनल की जो किरकिरी हो रही है वो
क्या कम है जो अख़बार भी अपनी किरकिरी करवाने पर उतर आये हैं.
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aman pathan |
इन अखबारों के
पत्रकारों से अच्छी तो जीबी रोड की वैश्याएँ हैं जो पैसे के लिए भले ही अपना जिस्म
बेचती हैं, लेकिन अपने इमान का किसी से सौदा नहीं करतीं. इन तीन अख़बार की खबरों को
देखकर यही प्रतीत हो रहा है कि इन अख़बारों के पत्रकारों ने मोदी और योगी सरकार के पास
अपना इमान गिरवीं रख दिया है. इन तीन अख़बारों में से किसने सच लिखा है ये तो वही
जानें हमारी पड़ताल में अभी तक केंद्र सरकार ने यूपी सरकार को सड़कों के निर्माण के लिए
फूटी कौड़ी भी जारी नही की है.
राहत इन्दौरी के इस
शेअर के साथ बात ख़त्म
झूठों ने झूठों से
कहा है सच बोलो
सरकारी एलान हुआ है
सच बोलो