अमन पठान
हमारे देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अच्छे दिन लाने का वादा किया था. अच्छे दिन आये या नही आप भली भांति जानते होंगे, लेकिन अब दलाल पत्रकारों के बुरे दिन आने वाले हैं. केयर ऑफ़ मीडिया ने ऐसे दलाल पत्रकारों के खिलाफ एक अभियान प्रारंभ किया है. जिन्हें पत्रकारिता से कोई सरोकार नही है. जो सिर्फ अपने गोरखधंधों को बचाने या दलाली की दुकान चलाने के लिए पत्रकारिता कर रहे हैं.
पत्रकारिता जगत में ऐसे हजारों पत्रकार हैं जिन्हें पत्रकारिता के नियम कानून का ज्ञान होना तो दूर की बात है उन्हें इतना भी नही मालूम होता है कि समाचार कितने प्रकार के होते हैं. वह भी खुद को पत्रकार बता कर गौरवान्वित महसूस करते हैं. दोष उनका नही है कि वो पत्रकार बनकर समाज में पत्रकारिता का रौब गांठ रहे हैं. कुसूरवार तो वो मीडिया संस्थान हैं जो हजार-पांच सौ रूपये में प्रेस कार्ड बेचकर अपना उल्लू सीधा करने में लगे हुए हैं. मीडिया संस्थानों की सिक्योरिटी प्रथा से पत्रकारों की खेती हो रही है. इस दौर के मीडिया संस्थान 5-10 हजार रूपये की सिक्योरिटी लेकर किसी पर भी पत्रकार होने की मुहर लगा देते हैं.
कुछ ऐसे भी पत्रकार आपको नजर आ जायेंगे जिनका का चैनल टीवी इन्टरनेट पर दिखाई न देता हो, लेकिन हाथ में माइक आईडी लेकर सड़कों पर धूमते मिल जायेंगे. उनका सिर्फ एक ही काम होता है बकरे की तलाश? जैसे ही कोई बकरा मिल जाता है वो उस भूंखे शेर की तरह टूट पड़ते हैं. आपको ऐसे भी पत्रकार मिल जायेंगे जिन्होंने आज तक एक खबर भी नही लिखी है, लेकिन उनकी गिनती वरिष्ठ पत्रकारों में होती है. यानिकी ऐसे पत्रकार दलाल पत्रकरों के सरदार होते हैं.
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अमन पठान क्रांतिकारी पत्रकार एवं संपादक केयर ऑफ़ मीडिया |
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