मैं एक हिन्दुस्तानी हूँ
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Noor N Sahir
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Noor N Sahir
मैं एक हिन्दुस्तानी हूँ,
मैं अम्न और शान्ति का बानी हूँ,
मैं चाहे लण्डन चला जाऊं या अमरीका,
मैं चाहे न्यूज़ीलैंड चला जाऊं या ऑस्ट्रेलिया,
मैं दुनिया के किसी भी मुल्क में रहूँ,
मैं कहीं भी रहूँ,
मैं हर जगह एक हिन्दुस्तानी हूँ,
मेरा मुल्क तहज़ीब का ख़ालिक़ है,
मेरा वतन इंसानियत का हामिल है,
हिन्दुस्तान मेरा देस है,
हिन्दुस्तान मेरी जान है,
हिन्दुस्तान मेरी पहचान है,
हिंदुस्तान... मेरा अक़ीदा और मेरा ईमान है,
मैं इस धरती का बेटा हूँ,
मुझे इस धरती ने जन्मा है,
यहां की हवा में मुहब्बत की ख़ुश्बू है,
मगर कुछ कमीने लोग...
हिन्दुस्तान की पाक सरज़मीन को,
नापाक करने की कोशिश में लगे हैं,
मेरे भारत में,
हर क़ौम चैन से ज़िन्दगी बसर कर रही है,
इन कमीने लोगों को ये गवारा नहीं है,
कहीं दंगे करवाते हैं,
कहीं नए नए हादसे,
कहीं लोगों में नफ़रत भड़काते हैं,
कहीं भाई भाई को लड़वाते हैं,
कहीं हिन्दू-मुस्लिम का मुद्दा लाते हैं,
कहीं दुश्मनी की चिंगारियों को हवा देते हैं,
अजीब-अजीब प्रोपैगण्डे बनाते हैं,
ऐसे वैसे मनसूबे रचाते हैं,
हम लोगों में...
नफ़रत फैलाने की तरह तरह की साज़िशें करते हैं,
हम में जो कमसमझ हैं,
वो इन के बहकावे में आ जाते हैं,
लेकिन जो समझदार हैं,
वो मुहब्बत के पुजारी हैं,
मगर मैं यक़ीन के साथ कह रहा हूँ,
कि मेरे मुल्क में कभी अशांति नहीं हो सकती,
मेरा हिन्दुस्तान,,,
अमनिस्तान था...अमनिस्तान है...अमनिस्तान रहेगा,
मेरा हिन्दुस्तान,,,
अमनिस्तान था...अमनिस्तान है...अमनिस्तान रहेगा,
बस हम सब को बिखरना नहीं है,
जुड़ना है,,,
मेरा हिन्दुस्तान दुनिया का पहला मुल्क है,
सब से पहला इंसान हिन्दुस्तान में आया,
मेरे वतन पर ख़ुदा की ख़ास रहमत है,
मैं एक हिन्दुस्तानी हूँ,
और मुझे फ़ख़्र है,
कि मैं एक हिन्दुस्तानी हूँ,
मुहब्बत और अम्न का बानी हूँ,
मेरे नज़दीक हर शख़्स बराबर है,
चाहे वो किसी भी मज़हब का मानने वाला हो,
चाहे वो किसी भी ज़ात का हो,
मेरी नज़र में...
हर इंसान सिर्फ़ इंसान है,
मैं यूँ तो ग़रीब हूँ,
मगर मुहब्बत का बादशाह हूँ।
मैं अम्न और शान्ति का बानी हूँ,
मैं चाहे लण्डन चला जाऊं या अमरीका,
मैं चाहे न्यूज़ीलैंड चला जाऊं या ऑस्ट्रेलिया,
मैं दुनिया के किसी भी मुल्क में रहूँ,
मैं कहीं भी रहूँ,
मैं हर जगह एक हिन्दुस्तानी हूँ,
मेरा मुल्क तहज़ीब का ख़ालिक़ है,
मेरा वतन इंसानियत का हामिल है,
हिन्दुस्तान मेरा देस है,
हिन्दुस्तान मेरी जान है,
हिन्दुस्तान मेरी पहचान है,
हिंदुस्तान... मेरा अक़ीदा और मेरा ईमान है,
मैं इस धरती का बेटा हूँ,
मुझे इस धरती ने जन्मा है,
यहां की हवा में मुहब्बत की ख़ुश्बू है,
मगर कुछ कमीने लोग...
हिन्दुस्तान की पाक सरज़मीन को,
नापाक करने की कोशिश में लगे हैं,
मेरे भारत में,
हर क़ौम चैन से ज़िन्दगी बसर कर रही है,
इन कमीने लोगों को ये गवारा नहीं है,
कहीं दंगे करवाते हैं,
कहीं नए नए हादसे,
कहीं लोगों में नफ़रत भड़काते हैं,
कहीं भाई भाई को लड़वाते हैं,
कहीं हिन्दू-मुस्लिम का मुद्दा लाते हैं,
कहीं दुश्मनी की चिंगारियों को हवा देते हैं,
अजीब-अजीब प्रोपैगण्डे बनाते हैं,
ऐसे वैसे मनसूबे रचाते हैं,
हम लोगों में...
नफ़रत फैलाने की तरह तरह की साज़िशें करते हैं,
हम में जो कमसमझ हैं,
वो इन के बहकावे में आ जाते हैं,
लेकिन जो समझदार हैं,
वो मुहब्बत के पुजारी हैं,
मगर मैं यक़ीन के साथ कह रहा हूँ,
कि मेरे मुल्क में कभी अशांति नहीं हो सकती,
मेरा हिन्दुस्तान,,,
अमनिस्तान था...अमनिस्तान है...अमनिस्तान रहेगा,
मेरा हिन्दुस्तान,,,
अमनिस्तान था...अमनिस्तान है...अमनिस्तान रहेगा,
बस हम सब को बिखरना नहीं है,
जुड़ना है,,,
मेरा हिन्दुस्तान दुनिया का पहला मुल्क है,
सब से पहला इंसान हिन्दुस्तान में आया,
मेरे वतन पर ख़ुदा की ख़ास रहमत है,
मैं एक हिन्दुस्तानी हूँ,
और मुझे फ़ख़्र है,
कि मैं एक हिन्दुस्तानी हूँ,
मुहब्बत और अम्न का बानी हूँ,
मेरे नज़दीक हर शख़्स बराबर है,
चाहे वो किसी भी मज़हब का मानने वाला हो,
चाहे वो किसी भी ज़ात का हो,
मेरी नज़र में...
हर इंसान सिर्फ़ इंसान है,
मैं यूँ तो ग़रीब हूँ,
मगर मुहब्बत का बादशाह हूँ।
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