खान अशु
जून के मानसूनी की शुरुआत और उसका एक पखवाड़े से ज्यादा वक्त बापू के लिए गौरवपूर्ण(!) बीता... बरसों बाद सियासत के पैरोकारों ने दिल(?) से उन्हें याद किया... उपवास से लेकर सत्याग्रह तक में लगी उनकी तस्वीरें, उनका दर्शनशास्त्र, उनके आदर्श, उसूल... उफ्फ! सुनकर गांधी जी खुद भी एक बारगी विस्मित, आश्चर्यचकित और अचरज से भरे रह गए... कहीं 'रघुपति राघव राजा राम...' धुन तो कहीं 'सबको सन्मति दे भगवान' की पुकार! लगने लगा था कि किसान आन्दोलन के रूप में आजादी की एक और जन्ग मप्र की धरती पर उतर आई हो... जनरल डायर और लार्ड कर्ज़न के उपनाम भी उछले...!
लेकिन राष्ट्रपिता का यह खुशीभरा एपिसोड कुछ ही कदम चला था कि सियासत ने करवट ली और परिदृश्य पर नया धारावाहिक 'कौन बनेगा राष्ट्रपति' आ गया...! विधायक, मन्त्री, नेताओं की दौड़ दिल्ली की तरफ लग गई। आधा सैकड़ा की दो किस्तों में विधायकों की दो खेप अपनी पार्टी का राष्ट्रपति चुनने के लिए रवाना होकर एक बन्गल-ए-खास में कैद हो चुके हैं। कुछ प्रस्तावक तो बाकी समर्थक बनने के लिए उतावले!
दिल्ली दरबार में चले 'किसे सौपी जाए चाबी' एपिसोड में भी कम मशक्कत नहीं की गई... बरसों पुराने एक द्वन्द्व को फिर कुरेद कर बुजुर्ग नेताओं के अरमानों को निर्मम कुचलाइ से लेकर सबकी पसंद पर खरी उतर रही एक सर्वमान्य महिला नेत्री और मेट्रो के जनक तक को दरकिनार कर बिहार-यूपी को साधने की तैयारी कर ली गई है।
पुछल्ला
कहने को माध्यम छोटा है... दायरा सीमित और साधन शून्य है... लेकिन खबर वही, जो पहले पर्दे पर आए! इन्दोर से आठ बार की सान्सद सुमित्रा महाजन का राष्ट्रपति पद के लिए सबसे आगे रहने की खबर खान अशु ने करीब चार दिन पहले (15 जून को रात 11;09 बजे) सोशल मीडिया पर पोस्ट की थी। देश के सबसे बड़े अखबार ने इस खबर को सोमवार को प्रथम पेज पर प्रकाशित किया है।
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