किसान का बेटा सरहद पर दुश्मनों से लड़ रहा है और किसान प्रशासन से?


सानू सिंह चौहान
शाहजहांपुर/अल्हागंज। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार किसानों को प्राथमिकता में रख कर काम कर रही है लेकिन अधिकारी और कर्मचारी सरकार की योजनाओं को खुलेआम ठेंगा दिखा रहे हैं। जिससे किसान बहुत परेशान हैं।

थाना क्षेत्र के गांव धर्मपुर पिडरिया के रहने वाले सुखलाल जाटव पुत्र भोगा जाटव ने मुख्यमंत्री से लेकर, जिलाधिकारी, उपजिलाधिकारी तक  को पत्र भेजकर बताया है कि गांव के मजरा दर्शन नगर में  रहने वाले गुरमीत कौर पुत्र मनोहर कौर ने गाटा संख्या 428/2 में दलित किसान की भूमि पर कब्जा कर रखा है। लेकिन प्रशासन किसान को उसकी भूमि पर कब्जा नहीं दिलवा रहा है।

वर्ष 1984 में हुये पट्टो में सुखलाल पुत्र भोगा को 0.809 हेक्टेयर भूमि आवंटित हुई थी। जिसको किसान प्रति वर्ष जोतता चला आ रहा है। लेकिन कुछ वर्ष पूर्व सन् 2011-12 में धर्मपुर पिडरिया में चकबंदी हुई। जिसमें किसान का पट्टा बदल गया लेकिन कुछ समय बाद चंकबंदी में हुई धांधली के कारण चंकबंदी आयुक्त लखनऊ चकबंदी निरस्त कर दी। जिस कारण पुनः किसान को गाटा संख्या 428/2 की भूमि आवंटित हो गई। लेकिन इसी दौरान गुरमीत कौर पुत्र मनोहर कौर ने उक्त भूमि पर कब्जा कर लिया। जब सुखलाल जाटव अपनी भूमि जोतने गया तो गुरमीत कौर ने सुखलाल को वहाँ से भगा दिया और वहाँ न आने की धमकी दी।

जिसकी शिकायत किसान ने तहसील जलालाबाद में एसडीएम से की। एसडीएम के आदेश होने के बावजूद लेखपाल संजय कुमार उक्त किसान की भूमि की पैमाईस करने नहीं गया। जिससे किसान बहुत परेशान हुआ और उसने जिलाधिकारी के यहाँ फिर से शिकायत की। जिस पर लेखपाल मौके पर पहुंचा और पैमाइस किये बिना लौट आया।
किसान सुखलाल ने बताया कि उसके पास इस पट्टे के शिवाय अन्य भूमि नहीं हैं। जो भूमि है उस पर कब्ज़ा है जिसकी शिकायत मुख्यमंत्री से लेकर जिलाधिकारी और उपजिलाधिकारी जलालाबाद को शिकायत की है। लेखपाल एक बार मौके पर आया  और गुरमीत से पैसे लेकर बिना पैमाइस किये चला गया। दोबारा जब मैं तहसील पर गया तब लेखपाल ने कहा कि मैं अब पैमाइस के लिये नहीं जाऊंगा। तूम उसी नम्बर में कहीं और जोत लो। किसान ने यह भी बताया कि तहसीलदार और लेखपाल संजय कुमार गुरमीत कौर से मिले हुए हैं। इसी कारण पैमाइस नहीं हो पा रही है।

सुखलाल ने बताया कि उसका बेटा बीएसएफ में हैं। उसकी ड्यूटी सरहद पर है। वह रोज फोन पर पूछता है कि पैमाइस हुई। उसने कई बार लेखपाल को फोन किया लेकिन कोई सुनवाई नहीं होती।
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